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Showing posts from January, 2020

Aaryan and Gurudwara/Church

  The world seems beautiful as I look into the eyes of my 3.5 year old son who is happily spinning away yarns sitting on a swing in the Empress Gardens. His eyes twinkle when I mention on our way back home that there is a Gurudwara nearby and perhaps we can drop in. I know he wants to buy a Kada (steel/iron bracelet) and shall be overjoyed...but little do I suspect that the brief visit would openup a flurry of questions in the days to come … While we are spending a leisurely time in our terrace in the evening – looking at the noisy street and varied people, Aaryan asks “Baba, why do we go to Gurudwara?” Me: “ To pray to the God” A:  “and temple?” Me: “Same to pray” as I prepare myself for tougher questions now A: “then why Gurudwara” I pause for a moment and then say “Well, there are more such places of worship. There is a temple, gurudwara, church and mosque. Some people go the temple and call themselves Hindu while some go to Gurudwara and are Sikhs. Chr...

दो बूँदें सावन की हैं, एक सागर की सीप में टपके और मोती बन जाये

दो  बूँदें सावन की हैं, दो बूँदें सावन की  एक सागर की सीप में टपके और मोती बन जाये  दूजी गंदे जल में गिरकर अपना आप गंवाये  किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष  लगाए  दो  बूँदें सावन की हैं,  दो  बूँदें सावन की  !! दो कलियाँ गुलशन की हैं, दो कलियाँ गुलशन की  इक सेहरे के बीच में गुंधे और मन ही मन इतराये  इक अर्थी की भेंट चढ़े और धूलि में मिल जाए  किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष  लगाए  दो कलियाँ गुलशन की हैं, दो कलियाँ गुलशन की  !! दो सखियाँ बचपन की हैं, दो सखियाँ बचपन की  इक सिंहासन पर बैठे और रूपमति कहलाये  दूजी अपने रूप के कारण गलियों में बिक जाए  किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष  लगाए  दो सखियाँ बचपन की हैं, दो सखियाँ बचपन की  !!              -- साहिर लुधयानवी 

ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ

ये रात ये चाँदनी फिर कहाँ सुन जा दिल की दास्ताँ ये रात... पेड़ों की शाखों पे सोई सोई चाँदनी तेरे खयालों में खोई खोई चाँदनी और थोड़ी देर में थक के लौट जाएगी रात ये बहार की फिर कभी न आएगी दो एक पल और है ये समा, सुन जा... लहरों के होंठों पे धीमा धीमा राग है भीगी हवाओं में ठंडी ठंडी आग है इस हसीन आग में तू भी जलके देखले ज़िंदगी के गीत की धुन बदल के देखले खुलने दे अब धड़कनों की ज़ुबाँ, सुन जा... जाती बहारें हैं उठती जवानियाँ तारों के छाओं में पहले कहानियाँ एक बार चल दिये गर तुझे पुकारके लौटकर न आएंगे क़ाफ़िले बहार के आजा अभी ज़िंदगी है जवाँ, सुन जा... -- साहिर लुधयानवी